Sukoon hai tu – Love Poem
रूह को जो मिले वो सुकून है तू,
इस ज़िस्म में बसने वाली महक है तू ।
तोड़ ना पाए कोई वो रिश्ता है हमारा,
जिस्मों का नहीं दिलों का प्यार है पुराना ।
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by Deepika Singhal | Nov 15, 2019 | Guest Stories, Poetry | 1 |
रूह को जो मिले वो सुकून है तू,
इस ज़िस्म में बसने वाली महक है तू ।
तोड़ ना पाए कोई वो रिश्ता है हमारा,
जिस्मों का नहीं दिलों का प्यार है पुराना ।
by Deepika Singhal | Nov 11, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
मेरा दिमाग है उथल-पुथल,करोड़ों विचारों से लवालव,कभी एक कौंधता,कभी दूसरा टपकता,ये सिलसिला लगातार चलता,आखिर मैं एक नतीजे पे पहुंचता,अपनी कलम उठा लेता,
Read Moreby Deepika Singhal | Nov 8, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
रंग ही रंग है जिंदगी में
कहीं खुशियों के कहीं दुख के,
कहीं प्यार के कहीं तकरार के,
कुछ जाने से पहचाने से
कुछ नए सुनहरे सुहाने से,
by Deepika Singhal | May 12, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
तुम्हारे लफ़्ज़ों में ज़िक्र क्यों ‘तुम्हारा’ है, ”हमारा” नहीं,
तुम्हारे प्यार में ज़िक्र क्यों ‘तुम्हारा’ है, “हमारा” नहीं ।
दूर जाओगे तो अलग हम होंगे,
by Deepika Singhal | May 8, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
आज फिर कुछ शब्दों से मुलाकात हुई,
घेर लिया चंद अल्फाजों ने मुझे;
कह रहे थे कुछ धीरे से,
आज शब्द भी थे कुछ भीगे से;
रास्ता थोड़ा मुश्किल था,
आंधी थी, तूफान था,
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